Sunday, July 5, 2009

बारिश


हर साल बारिश आती है ,
मौसम को खुश्नमा बनाती है ||

हर गाँव के फसलों से सजे खेत हँसते हैं ,
हर घर में भी लोग बसते हैं ,
हर साल बारिश की राह तकते हैं ||

आज इन सभी पहलुओं को देख ये एहसास है ,
बारिश की इन भीनी भीनी बूंदों में कुछ ख़ास है ||

तभी तो बैठा हूँ आज मैं खिड़की के पास ,
क्यूंकि मुझे भी तो है उस बारिश की बेसब्री से आस ||

जब भी बारिश होती है,
मेरी आँखें उसे देख सोचती है.......
क्या ये प्रकृति का रूप है ,
या खुदा का पैगाम है ||

बारिश के बाद फ़िर आसमान खुलता है,
सबको अपनी आज़ादी का एहसास दिलाता है ||

ऐ बारिश मुझे आज ये तू बता
की तुझमे क्या है छिपा........

कैसे तू सबके दुःख को खुशियों में बदलती है
आज मुझे ये राज़ बता दे ॥
ऐ बारिश मुझे भी तू भीगा दे ||

3 comments:

  1. welcome to blogosphere :)
    shuruvat achchi rahi...
    keep writing!!
    cheers!

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  2. नवीन जी आपकी कविता पर पढकर मन में कुछ शब्‍द आए सो लिख रहा हूं


    बूंदों में छीपी जिंदगी, बूंदों में छिपी है रवानी
    बूंदों की क्‍या बताएं कहानी
    दूर आसमां से आती है जमीं पर
    जैसे इंसा आए
    फिर जमीं से लौट जाती है आसमां में
    जैसे इंसा जाए
    बूंदों में ढूंढा है मैने जीवन
    बूंदों में खोया है मैंने जीवन

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