राख से कहो की धुल बन जाए
ढलते सूरज को बोलो की वही थम जाए
ढलती किरणों में जब ये धुल जगमगाए
जीवन के सारे दुःख भी उसमे खो जाए
खोजने जीवन का नया पथचलो हम भी इस धूल में खो जाए ||
जब खेत में खिला एक फूल महकाए
माथे की झूरियां भी हलकी हो जाए
वही फूल जब घर के आँगन को महकाएघर के सदस्यों के चेहरे पे मुस्कान च जाए
पाने उस मुस्कान को चलो हम भी खिलखिलाएंहम भी उस फूल की तरह गलिय महका जाएँ ||
जब छज्जे पे बैठा पक्षी गुनगुनाये
किसी के आने का आभास हो जाए
जब वो पक्षी हर घर ख़ुशी का सन्देश पहुचायेउस मीठी वाणी से मन ध्व्यनात्मक लोक में घुम हो जाए
समझने संसार की छुपी खुशियों कोचलो हम भी ये स्वर अपनाएं ||
जब बहता हुआ सागर जग के सच को समाए
बिना अभिलाषा के चलता चला जाए
जीवन में मौन रखने का लाभ जो सिखायेअपने कर्म से तू जग जीत जाए
आओ इस सादगी को हम अपनाएंजीवन में अपने उदार बन जाएँ ||